दहेज-दहेज-दहेज, मिथिलाकेर व्यथा दहेज
माए-बापसँ रोटी छिनलक, धीयासँ छिनलक सेज
जिनगी उजाड भेल, जीयब पहाड भेल
हरेक छोट माछ पैघ माछक आहार भेल
रिश्ता व्यापार भेल, मिथिला बजार भेल
हँसबालए व्यग्र नैन, दुनियाँ अन्हार भेल
ककरो आँखिक चमक पाइकेर, बेधए ककरो करेज
दहेज-दहेज-दहेज, मिथिलाकेर व्यथा दहेज
जनकजी मरै छथि, दशरथ तरै छथि
राम छथि मौन तेँ जानकी जरै छथि
बात सभ करै छथि, बेरपर डरै छथि
सभ छथि वैद्य, दुःख क्यो नइ हरै छथि
मिथिलाकेर उद्धारलए दहेज करू परहे्ज
दहेज-दहेज-दहेज, मिथिलाकेर व्यथा दहेज
(भाइ प्रवीण चौधरीक अभियानमे ऐक्यबद्धता जनबैत अपन २० वर्ष पुरान गीत)